दोस्तों, सोच रहा हूँ पाकिस्तान चला जाऊं...सुना है वह मोबाइल का नेटवर्क बड़ा तगड़ा है... कल ही हमारे विदेश मंत्री साब वहां से लौटे हैं... उनके पाकिस्तानी दोस्त कुरैशी साब का कहना है कि उन्होंने कई बार फ़ोन पर दिल्ली बात की... नेटवर्क का कोई लफड़ा नहीं फंसा...हालाँकि हमारे विदेश मंत्री साब इस बात से सीधे इंकार करते हैं... उनका कहना है कि उन्होंने किसी से बात नहीं की ... उनके पास इस बात का सबूत भी है... उन्हें मालूम था कि पाकिस्तान ऐसी साजिश करेगा सो जाते वक़्त उन्होंने अपने मोबाइल मैं बैलेंस ही नहीं डलवाया था...बात कैसे होगी... पर पाकिस्तान वाले इसे मानने को राज़ी नहीं... सोच रहा हूँ...इस बात की तह तक जाया जाये... एक बार पाकिस्तान हो आया जाये... अपने साइड की बात सही निकली तो यूएन या यूएस को एक डोजियर भेज दूंगा और लौटते समय एक रिपोर्ट भी बना लूँगा..खालिश रवीश स्टाइल में... पिंडी की भिन्डी टाइप कुछ... और अगर कुरैशी साब कि बात सही निकली तो वही रह लूँगा कुछ दिन... कुछ यारों दोस्तों को फोन मिला लूँगा..दिल्ली से नेटवर्क लगता नहीं आजकल... और फिर आजकल दिल्ली में वैसे भी मीडिया के दफ्तरों पर हमले हो रहे हैं... पता नहीं कही विडियोकान टावर के बाद अपने दफ्तर का नंबर न आ जाये...
कल देश में दो बड़ी खबरें थी...दोनों को देख कर 'देजा वू' का एहसास हो रहा था... एक तरफ एक सुदर्शन और चबा- चबा कर बोलने वाला एक पाकिस्तानी विदेश मंत्री हमारी कूटनीति, राजनीति और पता-पता नहीं क्या-क्या और..की बधिया उधेड़ रहा था...वहीँ दूसरी और हमारे एक खबरिया चैनल के दफ्तर में कुछ लोग हंगामा बरपा रहे थे... इन दोनों खबरों को देख कर कोई आश्चर्य का भाव नहीं बन रहा था... ऐसा पहले भी हो चुका है...एक नहीं कई बार हो चुका है... और फिलहाल तो यही लगता है की ऐसा और कई बार होता रहेगा...हाँ चिढ और कोफ़्त ज़रूर हो रही थी...
चिढ इस बात की कि सबसे बड़े वैचारिक देश (भारत में सबके पास एक अपनी खालिस पर्सनल विचारधारा है) में जो बोल रहा है वो लातों से पिटा है... और जो नहीं बोल रहा वो बातो से...कोफ़्त इस बात कि है कि इसके बाद फिर यही होगा... ऐसे ही कुछ विचारधारा के ठेकेदार फिर किसी दफ्तर को फोड़ेंगे... और एक देश बार-बार हमें ज़ख्म देगा और हम बार-बार उसके बात का ढोल पीटने जाएँगे...
खैर कोफ़्त और चिढ को मारिये गोली और असल मुद्दे पर आइये... जर्मनी पौल बाबा को नहीं बेचेगा... इस पर क्या कहते हैं आप... आखिर आपकी कोई तो राय होगी... है तो हमें एसएम्एस करिए...भारत बड़ा वैचारिक देश है...
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ब्लॉगजगत में स्वागत है.
ReplyDeleteआपकी पोस्ट आज चर्चा मंच पर भी है...
ReplyDeletehttp://charchamanch.blogspot.com/2010/07/217_17.html
यहाँ तो बस अफ़ज़ल और कसाब जैसों की खातिर की जा सकती है………………और अपनी कुर्सी बचाई जाती है बाकि देश या उसके लोगों का कुछ भी हो …………।वैसे भी यहाँ की जनता बहुत जल्दी सब भूल जाती है।
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ReplyDeleteजाओ विदेश मंत्री तो अपनी खातिरदारी करा के आ गए तुम भी जाओ.... फिर देखते है कुरैशी जी तुम्हे कितने कॉल करते है...
ReplyDeletetu itna accha likh sakta hai pata nh tha........
ReplyDeletesabka bahut bahut dhnyawaad
ReplyDeleteभिगो कर लगाई है
ReplyDeletenice
ReplyDeletegood.....likhte raho...bas thak na jana.....
ReplyDeleteआपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा , आप हमारे ब्लॉग पर भी आयें. यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो "फालोवर" बनकर हमारा उत्साहवर्धन अवश्य करें. साथ ही अपने अमूल्य सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ, ताकि इस मंच को हम नयी दिशा दे सकें. धन्यवाद . हम आपकी प्रतीक्षा करेंगे ....
ReplyDeleteभारतीय ब्लॉग लेखक मंच
डंके की चोट पर