Sunday 11 July, 2010

नए सितारों का कप

उरुग्वे के लिए फिर ३-२ का स्कोर अनलकी साबित हुआ.... कमाल के मैच में हार कर चौथे नंबर पर रही... पॉलबाबा फिर सही रहे.... अब शायद जर्मनी वाले उसकी जान बख्श दें... अगर कल स्पेन जीता तो इस अष्टपाद को गोल्डन बूट ही न मिल जाये... आखिर इस विश्व कप में सबसे सही गोल (मेरा मतलब भविष्यवाणियाँ) तो उसी ने मारे हैं...
खैर कुल मिलकर मज़ा आया... इस कप ने कई नए हीरो दिए हैं... काका, मेसी से निराश लोगों को मुलर, फोर्लन जैसों ने खूब लुभाया... जर्मनी के मुलर गजब की खोज हैं... क्लोसे और बलाक के जाने के बाद भी टीम का फ्यूचर ब्राईट है... जिस तरह से मुलर खेलते हैं, उन्हें क्लब और नेशनल फुटबाल में रोकना मुश्किल होगा... लेकिन जिस खिलाडी ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया वे रहे फोर्लन... फिलहाल फ्री-किक और कोर्नर पर वे सबसे बेहतरीन हैं... बेशक वे बेकहम, कार्लोस या रोनाल्डिनो नहीं है लेकिन उनका निशाना सटीक है...और ताकत जोरदार... अब उन्हें दुनिया भर के लोग पहचान गए हैं... आगे भी देखने को मिलेगा उनका जलवा...इन दोनों के अलावा घाना के ज्ञान, जर्मनी के ओजील जैसे खिलाडी भी याद रहेंगे...

इन नए पट्ठों के बीच कुछ पुराने शेर भी चमके... क्लोसे गज़ब के खिलाडी हैं... विश्वकप में आते ही वे अलग स्तर पर खेलते हैं.... डेविड विला अकेले सेमीफाईनल तक ले आये... स्नाईडर और रोबेन भी अच्छा खेल रहे हैं...

फाईनल में जो भी जीते.... विजेता पहले ही घोषित हो चूका है... फैन्स जीत गए हैं... शायद पॉल और अन्धविश्वास भी... खुला खेल है...

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